रविवार, 24 दिसंबर 2017

पोस्ट के बारे में

प्रिय, 
पाठको
सादर अभिनंदन। 
यह ब्लॉग सन्धि पर आधारित है।  मैंने बच्चों की कठिनाइयों को कक्षा में  अनुभव किया है।  उनकी कठिनाइयों को दूर करने का यह लघु प्रयास है। 
मेरा ब्लॉग बनाने का एक मात्र उद्देश्य जिज्ञाशु पाठकों को प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध करना  है ।  उनकी परीक्षा की तैयारी में मदद करना है। यह ब्लॉग प्रतियोगी परीक्षा देने वाले बच्चों के लिए भी उपयोगी है जितना विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए।   
 इस ब्लॉग में 
1. संधि किसे कहते हैं? 
2. संधि के कितने  प्रकार होते हैं ? 
3. स्वर संधि की परिभाषा एवं उसके भेद उदाहरण सहित।   
4 . व्यञ्जन सन्धि की परिभाषा उसके नियम तथा उदाहरण। 
5. विसर्ग सन्धि की परिभाषा उसके नियम तथा उदाहरण। 
6. विगत वर्षों में कक्षा 10 वीं  बोर्ड परीक्षा में पूछे गए सन्धि शब्दों का हल।
मेरा ब्लॉग बनाने का एक मात्र उद्देश्य जिज्ञाशु पाठकों को प्रामाणिक जानकारी देना है।  उनकी परीक्षा की तैयारी में मदद करना है।  
मैं हमेशा आपके सकारात्मक सुझावों आदर करूँगा। आपके प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करूँगा। 
धन्यवाद,  
आप सबका शुभेच्छु 
नीलेश कुमार 

सोमवार, 11 दिसंबर 2017

संधि किसे कहते हैं

प्रश्न - संधि किसे कहते हैं?

उत्तर -  संधि का शाब्दिक अर्थ है - मेल या संयोग  । अर्थात दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है या परिवर्तन होता है , उसे संधि कहते हैं ।( वर्णों के बारे में अन्य ब्लॉग में जानकारी दी गई है )
संधि में दो बातें उल्लेखनीय है- 
1.सन्धि दो वर्णों के बीच होता है। 
(अ) स्वर और स्वर के साथ मेल या 
(ब  स्वर और व्यंजन के साथ या 
(स)  व्यंजन  और स्वर के साथ या 
(द) विसर्ग और स्वर या व्यंजन के साथ   
2. सन्धि होने पर शब्द का अर्थ बदल जाता है ।    
जैसे - 
1. विद्या + आलय = विद्यालय  ( आ +आ = आ ) 
2. हिम +  आलय = हिमालय ( अ + आ  = आ ) 
3. विद्या + अर्थी  =  विद्यार्थी    ( आ + अ   = आ )
4. भानु + उदय  = भानूदय     ( उ + उ   =  ऊ )
5. गिरि + ईश  = गिरीश         (इ + ई    = ई  ) 
6. नर + इंद्र   =  नरेन्द्र             ( अ + इ  = ए )
7. जगत + नाथ  = जगन्नाथ   ( त् + न  = न्न ) 
8. उत् + योग = उद्योग             ( त् + य = द )
9. अभि  + सेक = अभिषेक     ( इ + से = षे )
10.आ + छादन = आच्छादन  ( आ +छा = च्छा ) 
11. निः + चर  = निश्चर              ( : (विसर्ग) का श ) 
12. तपः + भूमि = तपोभूमि  ( : (विसर्ग) का ओ ) 
उपर्युक्त उदाहरणों में 
1. उदाहरण  क्रमांक 1  से 6  तक स्वर से स्वर का मेल हुआ है। 
2. उदाहरण क्रमांक 7  एवं 8 में व्यञ्जन से व्यञ्जन का मेल हुआ है। 
3. उदाहरण क्रमांक 9   एवं10  में स्वर से  व्यञ्जन का मेल हुआ है। 
4. उदाहरण क्रमांक 11   एवं 12  में विसर्ग  से व्यञ्जन का मेल हुआ है। 

प्रश्न - संधि और समास में क्या अंतर है ?(समास की विस्तृत जानकारी समास के ब्लॉग में दी गई है )

उत्तर - सन्धि और समास में अन्तर - 
1. सन्धि वर्णों का मेल है  जबकि समास शब्दों (पदों) का मेल है। 
जैसे - रमा + ईश = रमेश [ आ + ई = ऐ ]
पीतांबर में  पीत  और अंबर दो पद हैं। इसका विग्रह होता है -पीला अम्बर  
2. सन्धि में वर्णों के मेल से वर्ण परिवर्तन भी होता है , जबकि समास में दो पदों के बीच के कारक  चिन्ह या समुच्चय बोधक अव्यय या प्रत्यय का लोप हो जाता है। 
जैसे- जगत् + नाथ = जगन्नाथ (सन्धि ) 
 राजा का पुत्र  = राजपुत्र  ( समास )  
3.सन्धि को अलग करने की प्रक्रिया विच्छेद कहलाती है , जबकि समास के पदों को अलग करने की प्रक्रिया विग्रह कहलाती  है।  
जैसे - विद्यालय = विद्या  + आलय  (सन्धि विच्छेद ) 
यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार ( समास विग्रह ) 
  

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

विसर्ग संधि

प्रश्न - विसर्ग संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । 
उत्तर - विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से उत्पन्न विकार को विसर्ग संधि कहते हैं । जैसे- मनः + रथ = मनोरथ । 
विसर्ग संधि के नियम
1. यदि विसर्ग के बाद च या छ हो तो विसर्ग का श् हो जाता है, ट, होने पर ष् और त,थ होने पर विसर्ग का स् हो जाता है|
: + च या छ= श्
: + ट या ठ = ष्
: + त या थ = स
नि: + चय = निश्चय
नि: + छल = निश्छल
धनु: + टंकार = धनुष्टंकार
नि: + तार = निस्तार
दु: + चरित्र = दुश्चरित्र
2. यदि विसर्ग के पहले हो और उसके बाद किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ,पंचम वर्ण या य, र, ल, व, ह आए तो विसर्ग का हो जाता है| जैसे –
यशः + गान = यशोगान
मन: + रथ = मनोरथ
मन: + ज = मनोज
सर: + वर = सरोवर
पुरः + हित = पुरोहित
मन: + हर = मनोहर
पय: + धर = पयोधर
यशः + दा = यशोदा
मन: + योग = मनोयोग
तेज: + मय = तेजोमय
वय: + वृध्द = वयोवृध्द
मन: + विकार = मनोविकार
 3. यदि विसर्ग के पहले इकार या उकार हो तथा बाद में क, ख, प, फ,  आए तो विसर्ग का ष् हो जाता है| जैसे –
नि: + प्राण = निष्प्राण
नि: फल = निष्फल
नि: + कपट = निष्कपट
नि: + पाप = निष्पाप


4.यदि विसर्ग के पहले इकार या उकार हो तथा बाद में आ, ग, घ, ध, म, वर्ण आए तो विसर्ग के स्थान पर र या र्  हो जाता है | जैसे –
नि: आशा = निराशा
नि: + धन = निर्धन
दु: + आत्मा = दुरात्मा
दु: + गुण = दुर्गुण
नि: + मल = निर्मल
दु: + घटना = दुर्घटना
  5. यदि विसर्ग के पहले अ हो तथा बाद में क, ख, प, फ, में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता | जैसे –
प्रात: + काल = प्रातःकाल
पय: + पान = पय:पान
अंत: + करण = अन्तःकरण
अध: + पतन = अधःपतन
6.यदि विसर्ग के पहले इ या उ हो तथा बाद में आए तो के स्थान पर औए के स्थान पर हो जाता है, जैसे –
नि: + रव = नीरव
नि: + रस = नीरस
नि: + रोग = नीरोग
दु: + राज = दूराज
7. यदि विसर्ग के पहले और बाद में हो तो हो जाता है और बाद वाले  का लोप होकर  (ऽ) का चिन्ह लग जाता है | जैसे –
प्रथमः + अध्याय = प्रथमोऽध्याय
स: + अहम = सोऽहम   
8. यदि विसर्ग के पहले अ या आ हो और बाद में आए तो विसर्ग का स् हो जाता है, जैसे –

नमः + कार = नमस्कार
भाः + कार = भास्कर




गुरुवार, 8 दिसंबर 2016

स्वर संधि

प्रश्न - स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । 


उत्तर-  दो स्वरों के मेल से जो विकार या रूप परिवर्तन होता है , उसे स्वर सन्धि कहते हैं ।   जैसे - 
हि + लय  = हिमालय ( + = आ )  [ म् +अ = म ] 'म' में 'अ' स्वर जुड़ा हुआ है 
विद्या = लय = विद्यालय (आ +आ = आ ) 
पो  + न    =  पवन (ओ  +अ  = अव ) 
[यहाँ पर प्+ +अन { प् +अव् (ओ के स्थान पर )+अन }
प्+अव = पव  
पव +अन = पवन ]

प्रश्न - स्वर सन्धि के कितने  प्रकार हैं ? 

उत्तर - स्वर संधि के प्रमुख पाँच प्रकार हैं - 
  1. दीर्घ स्वर संधि 
  2. गुण स्वर संधि 
  3. वृध्दि स्वर संधि 
  4. यण स्वर संधि 
  5. अयादि स्वर संधि    

प्रश्न - दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदहारण सहित समझाइए । 

उत्तर - जब दो सवर्ण स्वर आपस में मिलकर दीर्घ हो जाते हैं , तब दीर्घ स्वर संधि होता है ।  यदि     'अ'  'आ'  'इ ' 'ई' 'उ' 'ऊ'  और 'ऋ' के बाद हृस्व या दीर्घ स्वर आए  तो दोनों मिलकर क्रमशः 'आ' 'ई' 'ऊ' और ऋ हो जाते हैं  अर्थात दीर्घ हो जाते हैं ।  

अ + अ =
उ + उ =
अ + आ =
उ + ऊ =
आ + आ =
ऊ + उ =
आ + अ =
ऊ + ऊ =
इ + इ  =
ऋ + ऋ =
इ + ई =
दीर्घ स्वर संधि के नियम
ई + ई =
ई + इ =
जैसे -
 ( अ + अ  = आ ) 
ज्ञान + अभाव  = ज्ञानाभाव   
स्व + अर्थी  =  स्वार्थी  
देव + अर्चन  =  देवार्चन  
मत +  अनुसार  =  मतानुसार 
राम + अयन  =  रामायण 
काल + अन्तर  =  कालान्तर 
कल्प + अन्त  =  कल्पान्त 
कुश  +  अग्र  =  कुशाग्र 
कृत  + अन्त  =  कृतान्त 
कीट  + अणु  =  कीटाणु 
जागृत  + अवस्था  =  जागृतावस्था
देश  + अभिमान  =  देशाभिमान 
देह  + अन्त  =  देहान्त  
कोण  + अर्क  =  कोणार्क 
क्रोध + अन्ध  = क्रोधान्ध 
कोष  + अध्यक्ष  =  कोषाध्यक्ष
ध्यान + अवस्था   = ध्यानावस्था 
मलय +अनिल  = मलयानिल 
स + अवधान = सावधान  

( अ + आ  = आ ) 
परम + आत्मा  = परमात्मा  
घन  + आनन्द  =  घनानन्द 
चतुर + आनन  = चतुरानन 
परम +  आनंद  =  परमानंद 
पर + आधीनता = पराधीनता 
पुस्तक  +  आलय  = पुस्तकालय 
हिम +  आलय  = हिमालय 
एक  +  आकार  =  एकाकार 
एक  +  आध  =  एकाध 
एक  + आसन =  एकासन 
कुश  + आसन  =  कुशासन 
कुसुम  +  आयुध  =  कुसुमायुध 
कुठार  +  आघात  =  कुठाराघात 
खग +आसन  =  खगासन
भोजन + आलय = भोजनालय 
भय + आतुर = भयातुर 
भाव + आवेश  = भावावेश 
मरण + आसन्न  = मरणासन्न 
फल + आगम  = फलागम 
रस + आस्वादन = रसास्वादन 
रस + आत्मक = रसात्मक 
रस + आभास = रसाभास 
राम + आधार = रामाधार 
लोप + आमुद्रा = लोपामुद्रा 
वज्र + आघात = वज्राघात 
स + आश्चर्य = साश्चर्य 
साहित्य +आचार्य = साहित्याचार्य 
सिंह + आसन = सिंहासन 
( आ + अ   = आ )
विद्या + अर्थी  =  विद्यार्थी    
भाषा + अन्तर = भाषान्तर 
रेखा + अंकित = रेखांकित 
रेखा + अंश = रेखांश 
लेखा + अधिकारी = लेखाधिकारी 
विद्या +अर्थी = विद्यार्थी 
शिक्षा +अर्थी = शिक्षार्थी 
सभा + अध्यक्ष = सभाध्यक्ष 
सीमा + अन्त = सीमान्त 
आशा + अतीत = आशातीत 
कृपा + आचार्य = कृपाचार्य 
कृपा + आकाँक्षी = कृपाकाँक्षी 
तथा + आगत = तथागत 
महा + आत्मा = महात्मा 
( आ + आ  = आ ) 
मदिरा + आलय  = मदिरालय 
महा + आशय = महाशय 
महा +आत्मा = महात्मा 
राजा + आज्ञा = राजाज्ञा 
लीला+ आगार = लीलागार 
वार्ता +आलाप = वार्तालाप 
विद्या +आलय = विद्यालय 
शिला + आसन = शिलासन 
शिक्षा + आलय = शिक्षालय 
क्षुधा + आतुर = क्षुधातुर 
क्षुधा +आर्त = क्षुधार्त 
 ( इ + इ  = ई  ) 
कवि + इन्द्र  = कवीन्द्र
मुनि + इंद्र  = मुनींद्र  
रवि + इंद्र = रवींद्र   
अति + इव = अतीव  
अति + इन्द्रिय = अतीन्द्रिय 
गिरि +  इंद्र = गिरीन्द्र
प्रति + इति = प्रतीत 
हरि  + इच्छा = हरीच्छा 
फणि + इन्द्र  = फणीन्द्र 
यति + इंद्र = यतीन्द्र 
अति + इत  = अतीत 
अभि + इष्ट = अभीष्ट 
प्रति + इति = प्रतीति 
प्रति + इष्ट = प्रतीष्ट
प्रति + इह = प्रतीह     
 ( इ  + ई  = ई ) 
गिरि + ईश  = गिरीश   
मुनि + ईश  = मुनीश 
रवि + ईश  = रवीश 
हरि + ईश = हरीश 
कपि+ ईश = कपीश 
कवी + ईश = कवीश 
 ( ई + ई  = ई ) 
सती + ईश  = सतीश             
मही + ईश्वर  = महीश्वर  
रजनी + ईश = रजनीश 
( ई + इ  = ई ) 
मही + इंद्र   = महीन्द्र   
( उ + उ  = ऊ )         
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश      
भानु + उदय  = भानूदय  
विधु + उदय = विधूदय  
सु + उक्ति = सूक्ति 
लघु + उत्तरीय = लघूत्तरीय   
  उ  +  = ऊ )
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि   
( ऊ + उ = ऊ )
वधू  + उत्सव = वधूत्सव  
 ( ऊ + ऊ = ऊ )   
भू  + ऊर्जा  = भूर्जा            
भू + ऊर्ध्व  = भूर्ध्व 
 ( ऋ + ऋ = ऋ ) 
पितृ + ऋण  = पितृण  
मातृ + ऋण  = मातृण        

प्रश्न - गुण स्वर सन्धि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए ।  

उत्तर -  यदि  'अ'  या 'आ' के बाद 'इ' या 'ई'   'उ' या 'ऊ'  और ऋ आए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ए' 'ओ'  और अर  हो जाता है । इस मेल को गुण स्वर संधि कहते हैं । 

अ + = ए
 + = ओ
  + = ए
  +   =
अ + = ए
+ = अर 
 + = ए
+ = अर्
+ = ओ


गुण स्वर संधि के नियम
जैसे -
( अ  + इ = ए ) 
देव + इन्द्र  = देवेन्द्र   
सुर + इंद्र = सुरेंद्र 
भुजग + इन्द्र  = भुजगेन्द्र 
बाल + इंद्र = बालेन्द्र
मृग + इंद्र = मृगेंद्र 
योग + इंद्र = योगेंद्र 
राघव +इंद्र  = राघवेंद्र 
विजय + इच्छा = विजयेच्छा 
शिव + इंद्र = शिवेंद्र 
वीर + इन्द्र = वीरेन्द्र 
शुभ + इच्छा = शुभेच्छा 
ज्ञान + इन्द्रिय = ज्ञानेन्द्रिय 
खग + ईश = खगेश 
खग = इंद्र = खगेन्द्र 
गज + इंद्र = गजेंद्र 
( आ  + इ = ए ) 
महा + इंद्र = महेंद्र 
यथा + इष्ट  = यथेष्ट 
रमा + इंद्र = रमेंद्र 
 राजा + इंद्र = राजेंद्र 
( अ + ई  = ए ) 
गण + ईश  = गणेश         
ब्रज + ईश = ब्रजेश  
भव + ईश  = भवेश
भुवन + ईश्वर  = भुवनेश्वर 
भूत + ईश = भूतेश 
भूत + ईश्वर  = भूतेश्वर 
रमा + ईश  = रमेश 
राम + ईश्वर = रामेश्वर 
लोक +ईश = लोकेश 
वाम + ईश्वर = वामेश्वर 
सर्व + ईश्वर = सर्वेश्वर 
सुर + ईश = सुरेश
ज्ञान + ईश =ज्ञानेश 
ज्ञान+ईश्वर = ज्ञानेश्वर 
उप + ईच्छा = उपेक्षा 
एक + ईश्वर = एकेश्वर 
कमल +ईश = कमलेश  
( आ + ई  = ए ) 
महा + ईश  = महेश 
रमा + ईश  = रमेश  
राका + ईश = राकेश  
लंका + ईश्वर = लंकेश्वर 
उमा = ईश = उमेश        
( अ + उ = ओ )
वीर + उचित = वीरोचित 
भाग्य + उदय = भाग्योदय   
मद + उन्मत्त  = मदोन्मत्त 
सूर्य + उदय  = सूर्योदय  
फल + उदय  = फलोदय   
फेन + उज्ज्वल  = फेनोज्ज्वल 
यज्ञ +  उपवीत  = यज्ञोपवीत 
लोक + उक्ति = लोकोक्ति 
लुप्त + उपमा = लुप्तोपमा 
लोक + उत्तर = लोकोत्तर  
वन + उत्सव = वनोत्सव 
वसंत +उत्सव = वसंतोत्सव 
विकास + उन्मुख = विकासोन्मुख 
विचार + उचित = विचारोचित 
षोड्श + उपचार = षोड्शोपचार 
सर्व + उच्च = सर्वोच्च 
सर्व + उदय = सर्वोदय 
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम 
हर्ष + उल्लास = हर्षोल्लास 
हित + उपदेश = हितोपदेश
आत्म +उत्सर्ग = आत्मोत्सर्ग 
आनन्द + उत्सव = आनन्दोत्सव 
गंगा + उदक = गंगोदक  
( अ  + ऊ  = ओ )
समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि 
( आ  + ऊ  = ओ )
गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि 
( आ + उ = ओ )
महा + उत्सव  = महोत्सव 
महा + उदय = महोदय 
महा = उपदेश = महोपदेश 
यथा + उचित  = यथोचित 
लम्बा + उदर = लम्बोदर 
विद्या + उपार्जन = विद्योपार्जन  
( अ + ऋ = अर् ) 
देव + ऋषि  = देवर्षि        
ब्रह्म +  ऋषि = ब्रह्मर्षि 
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि 
 ( आ + ऋ = अर् ) 
महा + ऋषि  = महर्षि 
राजा + ऋषि  = राजर्षि     

प्रश्न - वृद्धि स्वर सन्धि  किसे कहते  हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । 

उत्तर- यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'ए' या 'ऐ' रहे तो 'ऐ'  एवं  'ओ' और 'औ' रहे तो 'औ' बन जाता है ।  इसे वृध्दि स्वर सन्धि कहते हैं ।  जैसे -

+  = ऐ
+  =
+  = ऐ
+  = ऐ
  + ओ = औ
+ ओ = औ
+ औ = औ
+ औ = औ

वृध्दि स्वर संधि के नियम
( अ + ए  = ऐ ) 
एक + एक  =  एकैक   
( अ + ऐ = ऐ )      
मत + ऐक्य  = मतैक्य 
हित + ऐषी = हितैषी 
 ( आ + ए  = ऐ ) 
तथा + एव  = तथैव         
सदा  + एव  = सदैव 
वसुधा +एव = वसुधैव   
( आ + ऐ  = ऐ )       
महा + ऐश्वर्य  = महैश्वर्य  
( अ  + ओ = औ ) 
दन्त + ओष्ठ = दँतौष्ठ 
वन + ओषधि = वनौषधि
परम + ओषधि = परमौषधि   
( आ + ओ = औ )   
महा + ओषधि  = महौषधि  
गंगा + ओध = गंगौध 
महा + ओज  = महौज 
( आ + औ = औ ) 
महा + औषध   = महौषध    

प्रश्न - यण  स्वर संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए । 

उत्तर - यदि 'इ' या 'ई', 'उ' या 'ऊ'  और ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो 'इ' और 'ई' का 'य' , 'उ' और 'ऊ' का 'व'  तथा ऋ का 'र' हो जाता है । इसे यण स्वर संधि कहते हैं । 

 + = य
+ = या
+  = ये
+  = यु
 + = या
+   = यू 
  +    = यै
+ अ  =
+ आ  = वा
 + आ  = वा
+ ई   = वी 
+ इ    = वि
   +     = वे
  +    = वै 
 +   =
+ = रा
 +   = रि


यण स्वर संधि के कुछ नियम
जैसे -
( इ + अ = य )
यदि + अपि = यद्यपि 
वि +अर्थ = व्यर्थ 
आदि + अन्त = आद्यंत 
अति +अन्त = अत्यन्त 
अति + अधिक = अत्यधिक 
अभि + अभागत = अभ्यागत 
गति + अवरोध = गत्यवरोध 
ध्वनि + अर्थ = ध्वन्यर्थ 
( इ + ए  = ये )  
प्रति + एक  = प्रत्येक 
(इ +आ = या  )         
अति + आवश्यक  = अत्यावश्यक 
वि + आपक = व्यापक   
वि + आप्त = व्याप्त
वि+आकुल = व्याकुल 
वि+आयाम = व्यायाम 
वि + आधि  = व्याधि 
वि+ आघात = व्याघात 
अति +आचार = अत्याचार  
इति + आदि = इत्यादि 
गति + आत्मकता  = गत्यात्मकता 
ध्वनि + आत्मक = ध्वन्यात्मक 
(ई +आ = या  ) 
सखी + आगमन = सख्यागमन      
 ( इ + उ  = यु  ) 
अति + उत्तम  = अत्युत्तम 
वि + उत्पत्ति = व्युत्पत्ति
अभि + उदय = अभ्युदय 
ऊपरि + उक्त = उपर्युक्त 
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर  
 ( इ + ऊ  = यू  )  
वि + ऊह = व्यूह  
नि + ऊन = न्यून 
 ( ई  + ऐ   = यै ) 
देवी + ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य    
( उ + अ  = व ) 
अनु + अव  = अन्वय  
मनु + अन्तर  = मन्वन्तर   
सु + अल्प = स्वल्प 
सु + अच्छ = स्वच्छ          
 ( उ + आ  = वा ) 
सु   + आगत   = स्वागत       
मधु + आचार्य  = मध्वाचार्य 
मधु + आसव  = मध्वासव 
लघु + आहार = लघ्वाहार 
( उ + इ    = वि ) 
अनु + इति  = अन्विति 
( उ + ई   = वी  ) 
अनु + वीक्षण = अनुवीक्षण 
 ( ऊ + आ  = वा ) 
वधू +आगमन = वध्वागमन
 ( उ   + ए    = वे ) 
अनु + एषण = अन्वेषण 
 ( ऊ  + ऐ   = वै ) 
वधू +ऐश्वर्य = वध्वैश्वर्य 
( ऋ  + अ  = र ) 
पितृ +अनुमति = पित्रनुमति 
( ऋ  + आ  = रा ) 
मातृ  + आनंद  = मात्रानन्द 
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा  
 ( ऋ  + इ   = रि ) 
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा  

प्रश्न - अयादि संधि किसे कहते हैं ? उदहारण सहित समझाइए । 

उत्तर - यदि 'ए' 'ऐ' 'ओ' 'औ' के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो 'ए' का 'अय', 'ऐ' का 'आय' , 'ओ' का अव  तथा 'औ' का 'आव' हो जाता है । इस परिवर्तन को अयादि सन्धि कहते हैं । 

   + अ  = अय्
+ अ = आय् 
 + इ   = आयि
 + अ  = अव् 
 + इ  = अव्
+ ई  = अवी
+ अ  = आव्
+ इ   = आवि
+ उ  = आवु


अयादि स्वर संधि के कुछ नियम
जैसे - 
( ए  + अ  = य् ) 
ने + अन  =  नयन 
शे +अन = शयन   
( ऐ  + अ  = आय् )       
नै  + अक  = नायक  
शै +अक = शायक 
गै + अक = गायक 
गै + अन = गायन  
 ( ऐ  + इ   = आयि  ) 
नै + इका = नायिका 
गै + इका = गायिका      
( ओ  + अ  = अव् ) 
पो + अन   = पवन          
भो + अन = भवन 
श्रो + अन = श्रवण 
भो + अति = भवति 
( ओ  + इ  = अव ) 
पो + इत्र = पवित्र  
( ओ + ई  = अवी  ) 
गो  + ईश  = गवीश 
( औ + अ  = आव ) 
सौ  + अन   =  सावन      
रौ + अन = रावण 
सौ + अक = शावक 
श्रौ अन = श्रावण 
धौ + अक = धावक 
पौ + अक = पावक 
पौ + अन = पावन
शौ + अक = शावक 
( औ + इ   = आवि ) 
नौ + इक = नाविक 
( औ + उ  = आवु ) 
भौ + उक = भावुक